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यह एडिटोरियल द लाइवमिंट में प्रकाशित “Rajya Sabha approves three codes subsuming 25 central labour laws” लेख पर आधारित है। यह हाल ही में संसद द्वारा पारित की गईं तीन श्रम संहिताओं का मूल्यांकन करता है।

संदर्भ

श्रम संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है। हाल ही में संसद ने औद्योगिक संबंधों पर, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति और सामाजिक सुरक्षा पर तीन श्रम संहिताएँ पारित की हैं जो देश के पुरातन श्रम कानूनों को सरल बनाने और श्रमिकों के लाभों से समझौता किये बिना आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिये प्रस्तावित हैं। ये श्रम संहिता भारत में श्रम संबंधों पर एक परिवर्तनकारी प्रभाव डाल सकती हैं। श्रम संहिता अधिनियम (Code on Wages Act 2019) के साथ ये श्रम पर केंद्रीय और राज्य कानूनों की व्यापकता को समेट कर व्यवसाय के संचालन को आसान बना सकते हैं। श्रम संहिता को द्वितीय राष्ट्रीय श्रम आयोग (2002) की सिफारिशों पर अपनाया गया था, जिसमें उद्योगों, व्यवसायों और क्षेत्रों में 100 राज्य कानूनों एवं 40 केंद्रीय कानूनों को समेकित करने का सुझाव दिया गया था।

मौजूदा श्रम संहिता में समाहित कानून

तीन श्रम संहिताओं में मुख्य प्रस्ताव

औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020